Monday, September 26, 2011

भूला-बिसरा प्‍यार

क्‍या वह पूनम की नशीली रात थी ?
कि तुम गमगीन, सरल और जटिल प्‍यार की
शिकायत करते मेरी बगल में आ बैठी

नकार से जन्‍मे दुख में और
जीवन के उन क्षणों में जब सब कुछ खालीपन में खत्‍म होता जा रहा था  
एक-दूसरे के निकट आते हुए दो प्रेमियों ने समय के और स्‍मृति ने प्रेम के खिलाफ 
अपनी एकाकी जंग छेड़ रखी थी
this is a translation of the poem "Forgotten Loves" http://imprintsonthesandsoftime.blogspot.com/2011/07/forgotten-loves.html by Pramod ji. Thanks again for the wonderful translation.

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