Wednesday, March 2, 2011

लकीरें

हाथों का क्या है 
लकीरों में शब्द छीपा
लेते हैं
बस इन शब्दों के नाम
नहीं होते
गुमनामी में अकसर
राह भटकते, गलियाँ छानते
जाम तलाश करते ये शब्द
अक्सर अपने  को भूल
बैठते
भूला शब्द साथ छोड़ जाता
और हर छुटता साथ
लकीरों कि गहराई

1 comment:

  1. अजीब सा शब्द है ये...रूमी से लेकर अमृता प्रीतम तक सब लिखते-गाते चले आये, और हम आज भी बात-बेबात सोच में पड़ जाते हैं कि क्या यही है वाह अहसास जिसके होने का अहसास ही हम ताउम्र तलाशना चाहते हैं. मालूम नहीं, पर जो भी है--पढ़कर अच्छा लगा|

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