Saturday, November 13, 2010

फिर कहीं

फिर कहीं  रंग घोल दिया यादों  ने
फिर कहीं पत्ते झड़ने लगे

धीमी होती इस रोशनाई में
फिर कही बादल बरसने लगे

No comments:

Post a Comment